महाबलीपुरम में PM मोदी ने किया शी जिनपिंग का स्वागत, रिश्तों में दिखी गर्मजोशी
महाबलीपुरम में शी जिनपिंग और नरेंद्र मोदी के स्वागत के लिए बड़े स्तर पर तैयारियां की गई हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग के बीच दूसरा अनौपचारिक शिखर सम्मेलन महाबलिपुरम में शुरू होगा.
साल 2018 में 27 और 28 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग वुहान में मिले थे.
साल 2018 में 27 और 28 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग वुहान में मिले थे.
दो दिन के भारत दौर पर आए चीन (China) के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) महाबलीपुरम पहुंच चुके हैं. पीएम नरेंद्र मोदी ने उनका जोरदार स्वागत किया. जिनपिंग के स्वागत के लिए पीएम मोदी तमिलनाडु के पारंपरिक परिधान मुंडू में हैं. पीएम मोदी ने जिनपिंग को अर्जुन तपस्थली के बारे में बताया. शाम 6 बजे पीएम मोदी-जिंनपिंग सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल होंगे.
तमिलनाडु का महाबलीपुरम आज दो महाबलियों के लिए ही खास तैयार किया गया है. चीन (China) के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) दो दिन के भारत दौर पर हैं. चेन्नई एयरपोर्ट पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित और मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी ने जोरदार स्वागत किया.
जिनपिंग से मुलाकात के लिए शुक्रवार सुबह 11.15 बजे पीएम मोदी भी चेन्नई पहुंचे थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग के बीच दूसरा अनौपचारिक शिखर सम्मेलन महाबलिपुरम में रखा गया. महाबलीपुरम में यह मुलाकात कई मायनों में खास हो सकती है.
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महाबलीपुरम में शी जिनपिंग और नरेंद्र मोदी के स्वागत के लिए बड़े स्तर पर तैयारियां की गई. महाबलीपुरम में पंच रथ के पास मोदी-जिनपिंग के स्वागत के लिए बागवानी विभाग ने एक विशाल गेट को सजाया. इसकी सजावट में 18 प्रकार की सब्जियां और फलों का प्रयोग किया गया. इन फलों और सब्जियों को तमिलनाडु के विभिन्न इलाकों से मंगाया गया है. विभाग के 200 स्टाफ मेंबर्स और ट्रेनी ने मिलकर 10 घंटे से ज्यादा समय तक इस गेट को सजाने में मेहनत की है.
डोकलाम के बाद अब मुलाकात
इससे पहले साल 2018 में 27 और 28 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग वुहान में मिले थे. इस मुलाक़ात ने साल 2017 में डोकलाम को लेकर उपजे कुछ गतिरोधों को कम करने में भूमिका अदा की थी. उसके बाद से यह अगली बैठक होने जा रही है.
महाबलीपुरम को ही क्यों चुना गया?
चीनी राष्ट्रपति और पीएम मोदी की भारत में मुलाकात के लिए महाबलीपुरम को ही क्यों चुना गया? दरअसल, इसके पीछे एक खास वजह है. दक्षिण भारत के इस प्राचीन शहर का चीन से काफी पुराना रिश्ता रहा है. महाबलीपुरम का चीन के साथ करीब 2000 साल पुराना रिश्ता है. कहते हैं कि महाबलीपुरम से चीन के व्यापारिक रिश्ते करीब 2000 साल पुराने हैं. समंदर किनारे बसे इस बंदरगाह वाले शहर के आसपास में चीनी सिक्के भी मिले थे.
इस मायने में अहम रहा महाबलीपुरम...
महाबलीपुरम या मामल्लपुरम (Mamallapuram) प्रसिद्ध पल्लव राजवंश की नगरी थी. इसके चीन के साथ व्यापारिक के साथ ही रक्षा संबंध भी थे. इतिहासकार मानते हैं कि पल्लव शासकों ने चेन्नई से 50 किमी दूर स्थित मामल्लपुरम के द्वार चीन समेत दक्षिण पूर्वी एशियाओं मुल्कों के लिए खोल दिए थे, ताकि उनका सामान आयात किया जा सके. चीन के मशहूर दार्शनिक ह्वेन त्सांग भी 7वीं सदी में यहां आए थे. वह एक चीनी यात्री थे, जोकि एक दार्शनिक, घूमंतु और बेहतरीन अनुवादक भी था. ह्वेन त्सांग को 'प्रिंस ऑफ ट्रैवलर्स' कहा जाता है.
05:37 PM IST